Aristotle Philosopher


arastu यानि के यूनानी दार्शनिक, अरस्तु की गिनती अपने समय के साथ साथ संसार में पैदा होने वाले समस्त महान लोगो और खासकर दार्शनिकों की बीच होती है  जिनका जन्म 384 ई.पु. स्तैगीरस की ग्रीक कॉलोनी में हुआ था | उनके पिता मकदूनिय के राजा के दरबार में शाही वैद्य थे | इस प्रकार अरस्तु के जीवन पर मकदूनिया के दरबार का काफी गहरा प्रभाव पड़ा था | उनके पिता की मौत उनके बचपन में ही हो गये थी | 17 वर्षीय अरस्तु को उनके अभिभावक ने शिक्षा पुरी करने के लिए बौद्धिक शिक्षा केंद्र एथेंस भेज दिया | वो वहा पर बीस वर्षो तक प्लेटो से शिक्षा पाते रहे | पढाई के अंतिम वर्षो में वो स्वयं अकादमी में पढाने लगे | अरस्तु को उस समय का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति माना जाता था जिसके प्रशंशा स्वयं उसके गुरु भी करते थे |
arastu की गिनती उन महान दार्शनिको और व्यक्तियों में होती है जो पहले इस तरह के व्यक्ति थे और परम्पराओं पर भरोसा नहीं करके किसी भी घटना की जाँच के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचते थे |
After Platon :
347 ईस्वी पूर्व में प्लेटो के निधन के बाद अरस्तु ही अकादमी के नेतृत्व के अधिकारी थे किन्तु प्लेटो के शिक्षाओं से अलग होने के कारण उन्हें यह अवसर नही दिया गया | एत्रानियस के मित्र शाषक ह्र्मियाज के निमत्रण पर अरस्तु उनके दरबार में चले गये | वो वहा पर तीन वर्ष रहे और इस दौरान उन्होंने राजा की भतीजी ह्र्पिलिस नामक महिला से विवाह कर लिया | अरस्तु की ये दुसरी पत्नी थी उससे पहले उन्होंने पिथियस नामक महिला से विवाह किया था जिसके मौत के बाद उन्होंने दूसरा विवाह किया था | इसके बाद उनके यहा नेकोमैक्स नामक पुत्र का जन्म हुआ | सबसे ताज्जुब की बात ये है कि अरस्तु के पिता और पुत्र का नाम एक ही था | शायद अरस्तु अपने पिता को बहुत प्रेम करते थे इसी वजह से उनकी याद में उन्होंने अपने पुत्र का नाम भी वही रखा था |
Education For Sikandar :
अब मकदूनिया के राजा फिलिप के निमन्त्रण पर वो उनके तेरह वर्षीय पुत्र को पढाने लगे | पिता-पुत्र दोनों ही अरस्तु को बड़ा सम्मान देते थे | लोग यहा तक कहते थे कि अरस्तु को शाही दरबार से काफी धन मिलता है और हजारो गुलाम उनकी सेवा में रहते है हालंकि ये सब बाते निराधार थी | एलेग्जेंडर के राजा बनने के बाद अरस्तु का काम खत्म हो गया और वो वापस एथेंस आ गये |अरस्तु ने प्लेटोनिक स्कूल और प्लेटोवाद की स्थापना की | अरस्तु अक्सर प्रवचन देते समय टहलते रहते थे इसलिए कुछ समय वाद उनके अनुयायी पेरीपेटेटिक्स कहलाने लगे | अरस्तु के अनेको रचनाये लिखी थी जो समय के साथ नष्ट हो गयी थी उनकी 200 रचनाओं में से केवल 30 शेष रह गयी जिनके उनके जीवन और प्रवचनों के बारे में जानकारी मिली थी |
Arastu : Experimental Nature
arstu के बारे में एक कहानी प्रचलित है जिसे आप यंहा क्लिक करके पढ़ सकते है arstu इस मामले में अलग थे कि उन्हें research करना बड़ा अच्छा लगता था खासकर ऐसे विषयों पर जो मानव स्वाभाव से जुड़े है जैसे कि ‘ आदमी को जब भी समस्या आती है वो क़िस तरह से इनका सामना करता है ?” और ‘ आदमी का दिमाग किस तरह से काम करता है |’ समाज को लोगो से जोड़े रखने के लिए काम करने वाले प्रशासन में क्या ऐसा होना चाहिए जो सर्वदा उचित तरीके से काम करें | ऐसे प्रश्नों के उतर पाने के लिए arastu अपने आस पास के माहौल पर प्रायोगिक रुख रखते हुए बड़े इत्मिनान के साथ काम करते रहते थे |
Arastu and Philosophy
अब अगले तेरह सालो तक वो शिक्षण में ही लगे रहे और कई दार्शनिक ग्रंथो की रचना की | वो अपने शिष्यों को सुबह सुबह विस्तृत रूप से और शाम को आम लोगो को साधारण भाषा में प्रवचन सदेते थे |एलेग्जेंडर की अचानक मृत्यु पर मकदूनिया के विरोध के स्वर उठ खड़े हुए | उन पर नास्तिकता का भी आरोप लगाया गया | वो दंड से बचने के लीये चल्सिस चले गये और वही पर एलेक्सेंडर की मौत के एक साल बाद 62 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गयी | इस तरह अरस्तु महान दार्शनिक प्लेटो के शिष्य और सिकन्दर के गुरु बनकर इतिहास के पन्नो में महान दार्शनिक के रूप में अमर हो गये |
His Literature
arastu ने अपने समय में अंदाजन 400 किताबे लिखी है जो विभिन्न विषयों पर आधारित है जैसे कि भौतिकी , नाटक , संगीत ,तर्कशास्त्र , राजनीतिशास्त्र,जीविज्ञान आदि | इस से पता चलता है कि arastu बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे | प्लेटो सुकरात और अरस्तु जैसे दर्शंशाश्त्री वेस्टर्न फिलोसोपी के महान दार्शनिकों में से थे | arastu  के द्वारा रचित उनकी आध्यात्मिक रचनाएं आज भी क्रिस्चियन सभ्यता को प्रभावित कर रही है और बड़ी बड़ी कक्षाओं में उनके दर्शनों को आज भी बढाया जाता है चूँकि उस समय की मुख्य समस्या ये थी कि उस दौर में लेखन को सुरक्षित रखे जाने के माध्यम आज जितने सटीक और प्रभावी नहीं थे जिसकी वजह से उनकी कई रचनाएं आज सुरक्षित नहीं है और खत्म हो चुकी है लेकिन फिर भी कुछ रचनाएं है जो लोगो को आज भी लाभान्वित कर रही है और research के काम आती है उनके द्वारा रचित पॉलिटिक्स के बारे में एक रचना है जो बेहद प्रसिद्ध है | भौतिक विज्ञानं पर arastu के विचारों में मध्यमयुग की शिक्षा पर बड़ा गहरा असर डाला है और इसे हम न्यूटन के भौतिकवाद की सहायता से अंतिम रूप से समझ सकते है |

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