अधिक माहितीकरीता येथे क्लिक करा.
https://mr.wikipedia.org/wiki/कल्पना_चावला
https://mr.wikipedia.org/wiki/कल्पना_चावला
कल्पना चावला
कल्पना चावला | |
---|---|
अंतरिक्ष यात्री | |
राष्ट्रीयता | संयुक्त राज्य अमरीका
भारत
|
स्थिति | दिवंगत |
जन्म | 17 मार्च 1962 करनाल, हरियाणा, भारत |
मृत्यु | 1 फ़रवरी 2003 (आयु 41 वर्ष) टेक्सास के ऊपर |
पिछ्ला व्यवसाय | शोध वैज्यानिक |
अंतरिक्ष में बीता समय | 31दि 14घं 54 मि |
चयन | 1994 नासा समूह |
मिशन | एसटीएस-८७, एसटीएस-१०७ |
मिशन उपलब्धियाँ |
कल्पना चावला (17 मार्च 1962 - 1 फ़रवरी 2003), एक भारतीय अमरीकी अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थी[1] और अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी।[2] वे कोलंबिया अन्तरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में से एक थीं।
अनुक्रम
[छुपाएँ]प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]
भारत की बेटी-कल्पना चावला करनाल, हरियाणा, भारत| में एक हिंदू भारतीय परिवार में पैदा हुई थीं। उनका जन्म 17 मार्च् सन् 1962 मे एक भारतीय परिवार मे हुआ था। उसके पिता का नाम श्री बनारसी लाल चावला और माता का नाम संजयोती था। वह अपने परिवार के चार भाई बहनो मे सबसे छोटी थी। घर मे सब उसे प्यार से मोंटू कहते थे। कल्पना की प्रारंभिक पढाई-लिखाई “टैगोर बाल निकेतन” मे हुई। कल्पना जब आठवी कक्षा मे पहुची तो उसने इंजिनयर बनने की इच्छा प्रकट की। उसकी माँ ने अपनी बेटी की भावनाओ को समझा और आगे बढने मे मदद की। पिता उसे चिकित्सक या शिक्षिका बनाना चाहते थे। किंतु कल्पना बचपन सेही अंतरिक्ष में घूमने की कल्पना करती थी। कल्पना का सर्वाधिक महत्वपूर्ण गुण था - उसकी लगन और जुझार प्रवृति। कलपना न तो काम करने मे आलसी थी और न असफलता मे घबराने वाली थी। [3] उनकी उड़ान में दिलचस्पी जहाँगीर रतनजी दादाभाई टाटासे प्रेरित थी जो एक अग्रणी भारतीय विमान चालक और उद्योगपति थे।[4][5]
शिक्षा[संपादित करें]
कल्पना चावला ने प्रारंभिक शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल करनाल से प्राप्त की। आगे की शिक्षा वैमानिक अभियान्त्रिकी में पंजाब इंजिनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़, भारत से करते हुए 1982 में अभियांत्रिकी स्नातक की उपाधि प्राप्त की। वे संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए 1982 में चली गईं और 1984 वैमानिक अभियान्त्रिकी में विज्ञान निष्णात की उपाधि टेक्सास विश्वविद्यालय आर्लिंगटन से प्राप्त की। कल्पना जी ने 1986 में दूसरी विज्ञान निष्णात की उपाधि पाई और 1988 में कोलोराडो विश्वविद्यालय बोल्डर से वैमानिक अभियंत्रिकी में विद्या वाचस्पति की उपाधि पाई। कल्पना जी को हवाईजहाज़ों, ग्लाइडरों व व्यावसायिक विमानचालन के लाइसेंसों के लिए प्रमाणित उड़ान प्रशिक्षक का दर्ज़ा हासिल था। उन्हें एकल व बहु इंजन वायुयानों के लिए व्यावसायिक विमानचालक के लाइसेंस भी प्राप्त थे। अन्तरिक्ष यात्री बनने से पहले वो एक सुप्रसिद्ध नासा कि वैज्ञानिक थी।
एम्स अनुसंधान केंद्र[संपादित करें]
१९८८ के अंत में उन्होंने नासा के एम्स अनुसंधान केंद्र के लिए ओवेर्सेट मेथड्स इंक के उपाध्यक्ष के रूप में काम करना शुरू किया, उन्होंने वहाँ वी/एसटीओएल में सीएफ़डी पर अनुसंधान किया।[4]
नासा कार्यकाल[संपादित करें]
कल्पना जी मार्च १९९५ में नासा के अंतरिक्ष यात्री कोर में शामिल हुईं और उन्हें १९९८ में अपनी पहली उड़ान के लिए चुना गया था।वह नासा कार्यालय मे के.सी. नाम से भी परसिद्ध थी। उनका पहला अंतरिक्ष मिशन १९ नवम्बर १९९७ को छह अंतरिक्ष यात्री दल के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष शटल कोलंबिया की उड़ान एसटीएस-८७ से शुरू हुआ। कल्पना जी अंतरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारत में जन्मी महिला थीं और अंतरिक्ष में उड़ाने वाली भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति थीं। राकेश शर्मा ने १९८४ में सोवियत अंतरिक्ष यान में एक उड़ान भरी थी। कल्पना जी अपने पहले मिशन में १.०४ करोड़ मील का सफ़र तय कर के पृथ्वी की २५२ परिक्रमाएँ कीं और अंतरिक्ष में ३६० से अधिक घंटे बिताए। एसटीएस-८७ के दौरान स्पार्टन उपग्रह को तैनात करने के लिए भी ज़िम्मेदार थीं, इस खराब हुए उपग्रह को पकड़ने के लिए विंस्टन स्कॉट और तकाओ दोई को अंतरिक्ष में चलना पड़ा था। पाँच महीने की तफ़्तीश के बाद नासा ने कल्पना चावला को इस मामले में पूर्णतया दोषमुक्त पाया, त्रुटियाँ तंत्रांश अंतरापृष्ठों व यान कर्मचारियों तथा ज़मीनी नियंत्रकों के लिए परिभाषित विधियों में मिलीं।
एसटीएस-८७ की उड़ानोपरांत गतिविधियों के पूरा होने पर कल्पना जी ने अंतरिक्ष यात्री कार्यालय में, तकनीकी पदों पर काम किया, उनके यहाँ के कार्यकलाप को उनके साथियों ने विशेष पुरस्कार दे के सम्मानित किया।
१९८३ में वे एक उड़ान प्रशिक्षक और विमानन लेखक, जीन पियरे हैरीसन से मिलीं और शादी की और १९९० में[6] एक देशीयकृत संयुक्त राज्य अमेरिका की नागरिक बनीं।
भारत के लिए चावला की आखिरी यात्रा १९९१-१९९२ के नए साल की छुट्टी के दौरान थी जब वे और उनके पति, परिवार के साथ समय बिताने गए थे। २००० में उन्हें एसटीएस-१०७ में अपनी दूसरी उड़ान के कर्मचारी के तौर पर चुना गया। यह अभियान लगातार पीछे सरकता रहा, क्योंकि विभिन्न कार्यों के नियोजित समय में टकराव होता रहा और कुछ तकनीकी समस्याएँ भी आईं, जैसे कि शटल इंजन बहाव अस्तरों में दरारें। १६ जनवरी २००३ को कल्पना जी ने अंततः कोलंबिया पर चढ़ के विनाशरत एसटीएस-१०७ मिशन का आरंभ किया। उनकी ज़िम्मेदारियों में शामिल थे स्पेसहैब/बल्ले-बल्ले/फ़्रीस्टार लघुगुरुत्व प्रयोग जिसके लिए कर्मचारी दल ने ८० प्रयोग किए, जिनके जरिए पृथ्वी व अंतरिक्ष विज्ञान, उन्नत तकनीक विकास व अंतरिक्ष यात्री स्वास्थ्य व सुरक्षा का अध्ययन हुआ। कोलंबिया अन्तरिक्ष यान में उनके साथ अन्य यात्री थे-
- कमांडर रिक डी . हुसबंद
- पायलट विलियम स. मैकूल
- कमांडर माइकल प . एंडरसन
- इलान रामों
- डेविड म . ब्राउन
- लौरेल बी . क्लार्क[7][8][9][10][11][12][13][14][15][16][17][18]
अंतरिक्ष पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई। सभी तरह के अनुसंधान तथा विचार - विमर्श के उपरांत वापसी के समय पृथ्वी के वायुमंडल मे अंतरिक्ष यान के प्रवेश के समय जिस तरह की भयंकर घटना घटी वह अब इतिहास की बात हो गई। नासा तथा विश्व के लिये यह एक दर्दनाक घटना थी। १ फ़रवरी २००३ को कोलंबिया अंतरिक्षयान पृथ्वी की कक्षा मे प्रवेश करते ही टूटकर बिखर गया। देखते ही देखते अंतरिक्ष यान और उसमें सवार सातों यात्रियों के अवशेष टेक्सास नामक शहर पर बरसने लगे और सफ़ल कहलया जाने वाला अभियान भीषण सत्य बन गया।
ये अंतरिक्ष यात्री तो सितारों की दुनिया में विलीन हो गए लेकिन इनके अनुसंधानों का लाभ पूरे विश्व को अवश्य मिलेगा। इस तरह कल्पना चावला के यह शब्द सत्य हो गए,” मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूँ। प्रत्येक पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया है और इसी के लिए ही मरूँगी।“
पुरस्कार[संपादित करें]
मरणोपरांत:
मेमोरिया[संपादित करें]
- टेक्सास विश्वविद्यालय एल पासो (यूटीईपी) में भारतीय छात्र संघ (आईएसए) द्वारा २००५ में मेधावी छात्रों को स्नातक के लिए.[19]कल्पना चावला यादगार छात्रवृत्ति कार्यक्रम स्थापित किया गया
- छोटा तारा 51826 Kalpanachawla , एक सात प्रशंसा पत्र के नाम से कोलंबिया (Columbia)'चालक दलों[20]
- 5 फ़रवरी 2003 को, भारत के प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि उपग्रहों के मौसम श्रृंखला, "METSAT ","कल्पना ". के नाम से होगा। श्रृंखला का पहला उपग्रहMETSAT-1 (METSAT-1)", भारत द्वारा12 सितम्बर 2002 को "कल्पना-1 (KALPANA-1)". के रूप में शुरू किया जाएगा "कल्पना-2 (KALPANA-2)"2007 से शुरू होने की उम्मीद है।[21]
- न्यूयॉर्क शहर में जैक्सन हाइट्स क्वींस (Queens) के 74. स्ट्रीट के नाम को 74. स्ट्रीट कल्पना चावला का रास्ताके रूप में पुनः नामकरण किया गया है
- टेक्सास विश्वविद्यालय के Arlington (University of Texas at Arlington) (जहाँ चावला ने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर विज्ञान की डिग्री1984 में प्राप्त की) में उसके सम्मान में एक शयनागार (dormitory), कल्पना चावला हॉल, के नाम से 2004 में.[22] रखा गया
- कल्पना चावला पुरस्कार कर्नाटक सरकार के द्वारा पुरस्कार के रूप में 2004 में युवा महिला वैज्ञानिकों के लिए[23] स्थापित किया गया
- पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, में लड़कियों का छात्रावास कल्पना चावला के नाम पर है। इसके अतिरिक्त, INR (INR) के लिए पच्चीस हजार, एक पदक और एयरोनाटिकल इंजीनियरिंग विभाग के सर्वश्रेष्ठ छात्र के लिए प्रमाण पत्र और पुरस्कार को स्थापित किया गया है[24]
- नासा ने कल्पना के नाम से एक सुपर कंप्यूटर समर्पित किया है।[25]
- फ्लोरिडा प्रौद्योगिकी संस्थान (Florida Institute of Technology) के कोलंबिया ग्राम सूट के एक 'विद्यार्थी अपार्टमेंट परिसरों, में चावला सहित प्रत्येक अंतरिक्ष यात्री के नाम पर हॉल है।
- नासा के मार्स एक्सप्लोरेशन रोवर मिशन सात चोटियों के श्रृंखला की हिल्स के नाम से है कोलंबिया हिल्स (Columbia Hills) के नाम पर कल्पना चावला समेत सात अंतरिक्ष यात्री जो कोलंबिया शटल आपदा बाद खो गया उनके नाम से चावला पहारी है, .
- स्टीव मोर्स (Steve Morse) ने कोलंबिया त्रासदी की याद में डीप पर्पल (Deep Purple) बैंड ने एक गाना बनाया जिसे "संपर्क खोया" कहा इस एलबम पर केले = बनाना (Bananas).[26] गीत पाया जा सकता है
- उसका भाई, संजय चावला, ने टिप्पणी की "मेरे लिए मेरी बहन मरी नहीं, है। वह अमर है। क्या ऐसा नहीं है कि एक सितारा क्या है?वह आकाश में एक स्थायी सितारा है। वह हमेशा ऊपर दिखे जायेंगे जहाँ स वह सम्बंधित है "[27]
- उपन्यासकार पीटर दाऊद (Peter David) ने उनकी 2007 में अंतरिक्ष यात्री के बाद चावलाका नाम shuttlecraft (shuttlecraft) के रूप में दिया है, स्टार ट्रेक (Star Trek) उपन्यास स्टार ट्रेक: अगली पीढ़ी: इससे पहले अनादर.[28]
- ज्योतिसर,कुरुक्षेत्र[29] में हरियाणा सरकार ने तारामंडल बनाया जिसका नाम कल्पना चावला के नाम पर् रखा गया है।
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा